Wednesday 12 March 2014

जिंदगी में एक दिन 'जिदंगी' से मुलाकात हुई........

जिंदगी में एक दिन 'जिदंगी' से मुलाकात हुई,

साथ बैठे, चाय पी और कुछ बात हुई।

बोली जिंदगी, प्यार एक धोखा है, फरेब है,

हमने कहा, जिंदगी तू खुद एक धोखा है,

बेवफा है, कपटी है, एक छलावा है,

मुहब्बत बिन तू अधूरी है, बदरंग है, बेमिजाज है,

बीच मझधार में हर किसी को छोड़ जाती है,

मरने में बाद भी मुहब्बत ही साथ निभाती है,

चिढ़ गई जिंदगी, मुझसे रूठ गई जिंदगी,

कहने लगी, बकवास है, सब झूठ है,

प्यार में मरने वाले सबसे बड़ा बेवकूफ है,

इश्क में मिलती केवल रूसवाई है,

नींद चली जाती है, करार खो जाता है,

मर पाता है इंसान न चैन से जी पाता है,

खाता है ना पीता है, हरदम बैचेन सा रहता है,

जाते हुए कुछ इस तरह से मुस्कुराकर बोली 'जिंदगी',

महबूब को मत मान खुदा, इक दिन धोखा खाएगा,

समझ में आएगा जब तक, सब कुछ तेरा लुट जाएगा,

जख्म होगें इतने गहरे, कभी ना भर पाएंगे,

एक दिन तू ही कहेगा, जिंदगी तू जीती मैं हारा,

सच कहा था तूने, प्यार का दूसरा नाम ही बेवफाई है...........


Wednesday 5 March 2014

......खामोशी को मेरी कमजोरी ना समझ !


खामोशी को मेरी कमजोरी ना समझ,
"जलजला: हूं, हस्ती मिटाना जानता हूं !!

नरम तो केवल स्वभाव है हमारा,
"दहाड़ना" वरना बखूबी जानता हूं !!

झुका था "इबादत" में सिर उसकी,
भ्रम पालकर तू नादानी ना कर !!

गर मिला मौका तो बता दूंगा,
हर रिश्ता निभाना जानता हूं !!

प्यार में अपनी जान देना ही नहीं,
दुश्मनी में सिर कलम करना भी जानता हूं।।