Wednesday, 5 March 2014

......खामोशी को मेरी कमजोरी ना समझ !


खामोशी को मेरी कमजोरी ना समझ,
"जलजला: हूं, हस्ती मिटाना जानता हूं !!

नरम तो केवल स्वभाव है हमारा,
"दहाड़ना" वरना बखूबी जानता हूं !!

झुका था "इबादत" में सिर उसकी,
भ्रम पालकर तू नादानी ना कर !!

गर मिला मौका तो बता दूंगा,
हर रिश्ता निभाना जानता हूं !!

प्यार में अपनी जान देना ही नहीं,
दुश्मनी में सिर कलम करना भी जानता हूं।।






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