दिल में आज फिर एक दर्द-ए-तूफान आया है,
बर्बाद-ए-इश्क का हर वो मंजर याद आया हैं,
कहते थे जो मुहब्बत की डगर को कांटों भरा,
महबूब के साथ अपने वो ख्याबों में आया हैं,
ना कर इतना जुल्म हम पर ऐ संगदिल सनम,
खुदा से पहले लबों पर मेरे तेरा नाम आया हैं।।
बर्बाद-ए-इश्क का हर वो मंजर याद आया हैं,
कहते थे जो मुहब्बत की डगर को कांटों भरा,
महबूब के साथ अपने वो ख्याबों में आया हैं,
ना कर इतना जुल्म हम पर ऐ संगदिल सनम,
खुदा से पहले लबों पर मेरे तेरा नाम आया हैं।।
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