याद आते हैं वो पल, याद आते हैं वो लम्हें,
साथ गुजारे वो दिन, वो रात और वो शाम,
तेरा हंसना-मुस्कुराना और तेरी डांट-डपट,
कहां चले गए हमें छोड़कर राजेश वर्मा तुम,
याद आता है तेरा वो हर जुमला, तकिया-कलाम,
कि जीना शेर की तरह है और मरना भी शेर की तरह।
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ये फोटो उस नुमाईश की याद दिलाता है, जब हम साथ मिलकर नुमाईश पंडाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का लुफ्त उठाया करते थे।...........बोले तो फुल इंज्वाय।
साथ गुजारे वो दिन, वो रात और वो शाम,
तेरा हंसना-मुस्कुराना और तेरी डांट-डपट,
कहां चले गए हमें छोड़कर राजेश वर्मा तुम,
याद आता है तेरा वो हर जुमला, तकिया-कलाम,
कि जीना शेर की तरह है और मरना भी शेर की तरह।
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ये फोटो उस नुमाईश की याद दिलाता है, जब हम साथ मिलकर नुमाईश पंडाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का लुफ्त उठाया करते थे।...........बोले तो फुल इंज्वाय।
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