इतना दर्द न दे मुझे, के बेदर्द न हो जाऊ,
है तेरी हर खबर, के फिर बेखबर न हो जाऊ,
उम्र ही गुज़र जाती है एतबार करने में,
फिर कैसे टूट के, अब मैं बेफिक्र हो जाऊ..
है तेरी हर खबर, के फिर बेखबर न हो जाऊ,
उम्र ही गुज़र जाती है एतबार करने में,
फिर कैसे टूट के, अब मैं बेफिक्र हो जाऊ..
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