धागा अगर टूट जाएं तो वह जुड़ता नहीं, अगर जुड़ता भी है तो उसमें गांठ आ जाती है।
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इसी तरह से दोस्ती और मौहब्बत में अगर एक बार दरार आ जाएं तो फिर पहले जैसे बात नहीं रह जाती।
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इसी का एक पहलू है कि रस्सी को इतना मत खींचों की वह टूट जाएं। यानि अगर कोई आपको बेहद प्यार करता हो, मान-सम्मान और इज्जत देता हो तो उसका अनादर मत करों। उसे और उसकी भावना को समझों। जरूरी नहीं है कि आपको मान-सम्मान देने के पीछे कोई हित छिपा हो।
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कोशिश करता हूं कि ईंट का जवाब पत्थर दे दूं अर्थात 20 फीसदी सत्कार करने वाले को मैं 100 फीसदी सम्मान दूं। (-Amit Saini)
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दिल को अब किसी से कोई गिला नहीं,
मन से जो भी चाह वो मिला नहीं,
बदनसीबी कहूँ या वक्त की बेवफाई,
अँधेरे में एक दिया मिला पर वो भी जला नहीं !!!
आपके व्यक्तित्व में लगता है कि गुरुत्व और अहंकार के वीच अंतर्विरोध चल रहा है गुरुत्व जीवन के आदर्शो को अपने में आत्मसात करना चाहता है और अहंकार व्याहारिक जीवन के सुख के लिए जीवन के आदर्शो की बलि चढ़ाना चाहता है इस समय गुरुत्व -अहंकार पर भारी है जो व्यक्ति के साथ समाज के लिए शुभ है
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